शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017

क्षणिकाएँ..................2

जीवन-मृत्यु


चित्र -सौजन्य google.com
1
पेड़ पे ऊगी कोंपल;
बन हरा पत्ता,
फिर मुरझाया;
डाल से टूट गया.

2
मुठ्ठी में भरी रेत;
धीरे से फिसली
और मुठ्ठी रीत गई.

3
खेत में लहलहाई 
फसल;
पककर कटी,
खेत खाली कर गई.

4
पानी का बुलबुला;
धीरे से उठ,
सतह पर आया;
फिर विलीन हो गया.

5
भोर में;
आसमां से पत्ते पर गिरी
ओस की बूंद,
सूरज के सर चढ़ते ही,
हवा हो गई.
वीणा सेठी




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14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  3. आदरणीय वीणा जी -- साहित्य की सुंदर विधा ' क्षणिका ' के रूप में आपकी सार्थक रचनाएं बहुत सार्थक और मंमिहक लगी | सादर शुभकामना |

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